नमो इम्पैक्ट : पंडित जी ने चालीसा पाठ छोड़ दिया
चुनावी चौपाल अपडेट : कल्पतरु भैया कल ही गांव आये हैं सुबह सुबह टहलने के लिए मंदिर की ओर निकले हैं। अब मंदिर आ गये तो दुर्गा मैया के दर्शन भी कर लें, यह सोच कर जैसे ही मुख्य द्वार की और बढे तो वे गांव के प्रसिद्ध पंडित बेत्तर बाबा की पूजा पद्धति को देख कर हतप्रभ थे। कौन नहीं जनता बाबा बेत्तर के पूजा पद्धति को " जोर जोर से दुर्गा चालीसा का पाठ करना औरर घंटा बजाना " गांव के लोगों की निंद ही बाबा के दुर्गा चालीसा के पाठ और घंटे की आवाज से खुलती थी" 40 साल हो गये फूस का मंदिर संगमरमर में तब्दील हो गया लेकिन बाबा की पूजा पद्धति नहीं बदली। लेकिन ये क्या आज बाबा मौन धारण कर भगवती की आराधना कर रहे हें ? बगल से ही बिनचुन कक्का गुजर रहे थे तो कल्पतरु भैया से रहा न गया और पूछ ही दिया, क्या बिनचुन कक्का ! बाबा साइलेंट मोड़ में ओके काहे हो गये हैं ? वाणी निःशक्त हो गये का ? बिनचुन कक्का मंद मंद मुस्कुराते हुए बोले, तुम को पता होगा लोकसभा का चुनाव होने वाला है और हमारे बाबा बेत्तर ठहरे साम्यवादी विचारधारा के ! कल्पतरु भैया तपाक से बोले। .... कक्का ! लोकसभा का चुनाव और साम्यवादी विचारधारा का बाबा बेत्तर के पूजा पद्धति से क्या लेना देना। बिनचुन कक्का इस बार खुल कर हँसे और बोले। .... ई लोकसभा चुनाव और बाबा बेत्तर के साम्यवादी विचारधारा की स्थिति परिस्थिति के बीच पूजा पद्धति पर नमो का इम्पैक्ट है। कल्पतरु भैया सवालिया लिहज़े में बोले … न .... मो … .? बिनचुन कक्का खुलकर बोले दुर्गा चालीसा पढ़े हो न पहिलके लाइन में है " नमो नमो दुर्गे .........." अब बाबा का कहना है जैसे ही दुर्गा चालीसा शुरू करते हैं दुर्गा मैया के जगह पर नरेंद्र मोदी दिमाग में घूमने लगता है और मन विचलित हो जाता है। एतने पर बात ख़तम नहीं हुआ है , जानते हो पंडिये जी के कारण झरनी चाय वाला का भट्ठा बैठ गया। कल्पतरु भैया पूछते हैं ऊ कैसे ? बिनचुन कक्का समझते हुए कहते हैं ' झरनी चाय वाला का मति मारा गया था दुकान का नाम रख लिया "नमो टी स्टाल" ! अब बाबा घूम घूम कर पूरे गांव में हल्ला कर दिये हैं कि झरनी चाय वाला के चायपत्ती पर शनी की कुदृष्टि है दू दिन लगातार चाय पी लोगे तो शनि का कोप भाजन बनना पड़ेगा " इसलिए एक दिन छोड़ कर एक दिन जाओ । एक तो दूसरा पार्टी का आदमी झरनी के दुकान पर पहले ही जाना छोड़ दिया था उप्पर से बाबा बेत्तर का कभात ! अब कल्पतरु भैया को दिव्य ज्ञान हो गया था , पंडित जी की पूजा समाप्त हो गयी थी। कल्पतरु भैया ने आगे बढ़कर उनका अभिवादन किया और ……………………
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