लल्लन की चाल देख कर कोई भी अनजान व्यक्ति कह देगा कि वह किसी बड़े अभियान में निकला है. लेकिन गांव के सभी लोग जानते हैं लल्लन की मंजिल छतीस बाबू की कलाली तक है. वैसे गांव में अब मदिरा की उपलब्धता सहज है लेकिन छत्तीस बाबू के शुद्ध देसी बियर बार नामक कलाली की बात ही कुछ और है. कलाली के गेट पर ही लल्लन को मित्र सरधुवा से मुलाकात होती है. क्या लल्लन भाई आज देर से पहुंचे हो ! हम तो समझ रहे थे की हम विलम्ब से हैं. लल्लन बोलता है अब क्या बताएं सरधुवा भाई " रास्ते में ऊ नेता नहीं है बेत्तर बाबा वही मिल गए, समझने लगे कि शराब मत पियो बर्बाद हो जाओगे ! अब बताओ भाई कोनो उसी के पैसा का पीते हैं क्या ! सरधुवा बोल परता है पता नहीं है बेत्तर बाबा छः महीना से छतीस बाबू का कलाली हटवाने के लिए दिमाग लगा रहे हैं. कहाँ कहाँ चिट्ठी नहीं भेजे हैं. दोनों कलाली के अंदर प्रवेश कर जाते हैं. पहले चरण में पीने पिलाने का दौर समाप्त कर सरधुवा तीन चार लोगों को ध्यान अपनी ओर खींच कर बोलता है " हाथ में दारू है, झूठ नहीं बोलेंगे, उ दिन याद करो जब यहाँ से डेढ़ कोस दूर परसादी बाबू के कलाली जाते थे. जाते थे पैदल और रिक्शा पे चढ़ कर आना परता था. अपने गांव के लोगों से परसादी बाबू एक पोलोथीन दारू का तीन रुपया ज्यादा लेते थे. कोई थोड़ी सी आनाकानी करने पर बड़ी पिटाई होती थी. वहां तो गांव एक्का दुक्का ही रोजाना जाता था. यहाँ तो उधारी भी चलता है. सरधुवा बोलता है बाबा बेत्तर यह कहकर कि कलाली के बगल में स्कूल है, ठाकुरबाड़ी है, कलाली हटवा देगा ? कभी नहीं हटने देंगे ! लल्लन बीच में टपक कर बोलता है " बात पैसा या उधारी का नहीं ! छतीस बाबू ने सुविधा देकर हमारा मन सम्मान बढ़ाया है. छतीस बाबू का जिंदाबाद होना चाहिए। जिंदाबाद के नारे लगते है. सभी नशे में टुन्न हैं तभी लल्लन का दस वर्षीय पुत्र छुट्टन कलाली घुस कर अपने पिता की ओर रुख करता है. लल्लन अपने बेटे से बोलता है यहाँ क्यों आया है रे! छुट्टन सहम कर बोलता है "" पप्पा घर में राशन नहीं है इसलिए मम्मी सौ रूपया मांग रही है। लल्लन बोलता है पैसे क्या पैर में उगते हैं ? मम्मी ने कहा और चला आया! लल्लन अपना बटुआ निकलता है, बटुवे में 10 के कुछ नोट है और कुछ सिक्के है. लल्लन 10 रुपये के तीन नोट दे कर कहा "" ले चल निकल"' छुट्टन बोलता है " पप्पा ! मम्मी ने तो सौ रुपये मांगे हैं. लल्लन कड़े स्वर में कह्ता है, जा मम्मी को कहना इसी में काम चला लेगी। कल काम पर जाऊंगा तो पूरा राशन शाम में ले आऊंगा। छुट्टन जाने लगता है लल्लन फिर छुट्टन को आवाज दे कर बुलाता है, छुट्टन अपने पिता के पास आता है. लल्लन ने अपने बटुवे से दो रुपये का सिक्का निकाल कर छुट्टन को दे कर बोलता है " ले लेमनचूस खा लेना और छुटकी को भी जरूर देना। मम्मी से कहना, दाल, भात और आलू की तरकारी बना कर रखेगी साथ में प्याज का सलाद जरूर बनाएगी। अगर कुछ भी कम रहा तो कहना हमसे बुरा कोई नहीं होगा! छुट्टन चला जाता है. कुछ देर बाद लल्लन बोलता है, क्या हिसाब हुआ छतीस बाबू ! छतीस बाबू बोलते हैं 30 दारू का, 10 झाल मुढ़ी का, पांच रुपये का पुड़िया ! टोटल 45 रुपये।लल्लन बटुवा निकल कर रुपये और सिक्के को गिनता है और छतीस को कुल 40 रुपये देकर कहता है " पांच रूपया हिसाब में लिख लेना बाबू ! लल्लन कलाली से ठगते झुकते निकल जाता है. करीब दो घंटे बाद लल्लन के घर के पास भीड़ जमा थी, लल्लन की पत्नी दर्द से कराह रही थी. उसका सर फट गया था, सभी कह रहे थे " बेचारी ने दाल भात तो बना ही दिया था, आलू की तरकारी और प्याज के सलाद का जुगाड़ नहीं हो पाया !
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