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Monday 27 August 2012

यहां लगती हैं कुंवारी लड़कियों की बोलियां!






भोपाल।क्या कोई अपनी बेटी को देह बेचने के लिए प्रेरित करेगा? निःसंदेह नहीं, लेकिन मध्यप्रदेश के पचासों गांवों में ऐसा गंदा काम हो रहा है। देह बेचकर घर-बार चलाना उनकी मजबूरी है, जो परंपरा बनकर वर्षों से चली आ रही है।
 
कई गांवों में सिर्फ बेटियों से ही देह व्यापार कराया जाता है, बहूओं को इससे दूर रखते हैं। बेड़िया जाति का परंपरागत नृत्य राई भी इसी कारण से बदनाम हुआ है। इसकी आड़ में देह व्यापार किया जाता है। बेड़िया जाति की इसी राई नृत्य और देह व्यापार परंपरा पर जीटीवी चैनल पर इन दिनों एक सीरियल फिर सुबह होगी प्रसारित हो रहा है।
मध्यप्रदेश के रायसेन, विदिशा, राजगढ़ जिले में ऐसे दर्जनों गांव हैं, जहां खुलेआम देह-मंडी सजती है। यहां रहने वालीं नट, बेड़िया, बछड़ा, कंजर और सांसी जाति के तमाम महिलाएं अपने परिवार का पेट भरने वेश्यावृत्ति करती हैं। 
एनजीओ लगातार सक्रिय :परंपरागत रूप से वेश्यावृत्ति कर रहीं महिलाओं को समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए विभिन्न एनजीओ लगातार कार्य कर रहे हैं। एक एनजीओ आह्वान फाउंडेशन की मदद से इग्नू ने एक डाक्युमेंटरी फिल्म 'द हॉली वाइव्स' तैयार की है।
आह्वान के संस्थापक एवं इस डाक्युमेंटरी फिल्म के प्रोड्यूसर रितेश शर्मा के मुताबिक, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और मध्यप्रदेश में वेश्यावृत्ति के मौजूदा परिदृश्य एवं इससे जुड़ी संवेदना ने उन्हें फिल्म बनाने के लिए प्रेरित किया। इस फिल्म में बेडिय़ा जाति के बारे में उल्लेख किया गया है।
यह उनकी मजबूरी भी है और अशिक्षा और जागरुकता के अभाव में वर्षों से चली आ रही एक गंदी परपंरा भी। हैरानी की बात यह है कि यहां के मर्द स्वयं अपने घर की महिलाओं को देह व्यापार में उतारते हैं। इसका उन्हें कोई पछतावा भी नहीं होता।

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