
दरअसल सावन के महीने में दुग्ध देने वाले पशु घास के साथ-साथ कीड़े-मकौड़े भी खा जाते हैं जिससे उनके द्वारा दिया जाने वाला दूध हानिकारक बन जाता है.
पुराणों में भगवान शिव को दूसरों का कल्याण करने वाला बताया गया है. वो हलाहल भी पी सकते हैं. इसीलिए सावन में शिव को दूध चढ़ाने की प्रथा बनाई गई है.
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