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Sunday 18 January 2015

ई गारंटी योजना का कोई गारंटी नहीं दे रहा है.

रिक्शा पड़ाव का दृश्य है. अपने नंबर की सवारी के इंतजार में सरधुवा रिक्षा पर बैठ कर सुस्ता रहे हैं. मन ही मन सोच रहे हैं कि रिक्शा चलाने में भी अब कितना कंपटिशन हो गया. बीस रिक्शा खुलेगा तो 21 वां नंबर उसका है. दोपहर का समय हो गया अब तक बस एक सवारी मिली है. 30 रुपया कमा पाया है. शाम तक रहा तो 150 रुपये कमा लेगा. लेकिन इतने में क्या होगा. उपर से नुनिया की मम्मी तो तबाह करके रखी है. घर जाते ही कई कहानी लेकर बैठती है सबसे पहले कहेगी कितना देर हो गया ! सारा सामान लाये हो कि नहीं ! मेरे तो भाग्य ही खराब थे जो जो तुम्हारे साथ बियाह हुआ. बाबुजी कहते थे लड़का मेहनती है भूखा नहीं रखेगा यहाँ तो.......... और हां नुनवा की टोपी लाये हो कि नहीं ! ठंड कितना है कान में गमछा बांध कर स्कूल जाता है और हां नुनिया के साइकिल की टायर कमजोर हो गयी है. बार बार पंचर हो जाता है. आज कल पैदल ही स्कूल जा रही है. यह सोचते सोचते सरधुवा उस दिन को याद करता है जब बाबा बेत्तर के दरवाजे पर सब लोग पेपर पढ़ रहे थे. उस समय मन कितना गदगद हो गया था जब सुना था कि एक गारंटी नाम की योजना है. दो रुपया किलो गेंहू और तीन रुपया किलो चावल मिलेगा. घर में जितना मुंडा उतना पांच किलो. बीते दिनों को याद करते ही सरधुवा के चेहरे की भावाकृति बदल जाती है. चेहरे पर हल्की मुस्कान आती है. बगल वाले रिक्शा चालक मधुवा उसके हाव भाव देख कर चुटकी लेता है, क्यों सरधु भाई आज कल मस्ती में दिख रहे हो क्या बात है. सरधुवा की तंद्रा भंग होती है. मधुवा से बोलते हैं क्या भाई हम क्या मस्ती में रहेंगे, अच्छा, ये बताओ गारंटी योजना बाला राशन तुमको मिलता है क्या ! मधुवा बोलता है नहीं भाई मेरा कार्ड कहां बना है. लेकिन वैसे लोगों का बना जो अनाज बेच रहे हैं. तुम्हारा तो नाम था तुमको तो राशन मिला न ! सरधुवा बोलता है नहीं रे भाई ! मेरा नाम था, कार्ड हमको दिया कहां ! राशन लेने गये तो वहां से भगा दिया. पता चला कि हमारे नाम का राशन कोई और ले गया. सबसे कहा लेकिन राशन मिला नहीं. मधुवा सलाह देता है शिकायत क्यों नहीं करते साहब के दफ्तर में ! सरधुवा कहता है राशन मिल जाने की गारंटी है क्या ! जवाब मिला गारंटी कौन देगा भैया. तभी सामने वाले चाय के दुकान से बाबा बेत्तर निकलते हैं. सरधुवा बाबा बेत्तर के पास जाकर दुखनामा सुनाता हैं. बाबा बोले लूट हो रहा है लूट ! 15 तारीक को जिला में धरना है पूरे परिवार के साथ वहां आना. ईट से ईंट बजा देंगे. सरधुवा पूछता है बाबा उ धरना होने के बाद राशन मिलने की गारंटी है क्या ! बाबा तिलमिला उठते हैं चलो हटो जाओ रिक्शा चलाओ. सरधुवा लौट कर मधुवा के पास आता है. ई गारंटी योजना का कोई गारंटी नहीं दे रहा है. लेकिन भाई तीन रिक्शा खुलने के बाद हमरे रिक्शा के नंबर की तो गारंटी है. मधुवा बोलता है हां भैया इसका गारंटी तो हम भी दे सकते हैं. दोनों हंसते हैं.

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