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Friday, 7 September 2012

दोस्ती में दगा दे कर बबलू का हुआ था अपहरण


               अभी भी अनसुलझी है हत्या की गुत्थी
   हरियौ का जितेंद्र सिंह रातो रात बनना चाहता था धनवान

ऋषव,नवगछिया▪हरियौ निवासी जितेंद्र सिंह उत्तर प्रदेश के नोयडा जिले के दादरी थाना क्षेत्र के गौतमबुद्ध नगर के स्वर्ण व्यवसायी नारायण चंद्र के मकान में किराये पर रहता था. नारायणचंद्र का पुत्र बबलू 20 वर्ष का था. दोनों में कुछ दिनों में ही गहरी दोस्ती हो गयी. बबलू के कई कायरें में जितेंद्र की सहभागिता होने लगी. अभी तो बबलू ने जवानी की दहलीज पर कदम ही रखा था उसे क्या मालूम दुनिया में जितेंद्र जैसे भी लोग रहते हैं. फिर एक दिन बबलू के पूरे परिवार से बबलू को घुमा कर लाने की बात का प्रस्ताव रखा. चूंकि जितेंद्र व्यवसायी का विश्‍वासी था और बबलू भी बिहार देखना चाहता था, इसलिए रजामंदी मिली. दोनों बिहार के लिए कूच कर गये. 20 अगस्त को सुबह बबलू और जितेंद्र बिहार के लिए रवाना हुआ था. इसी दिन बबलू के पिता से रंगदारी मांगी गयी कि बबलू की जान की अमानत चाहते हो ते 40 लाख की फिरौती देनी होगी. इस बात की प्राथमिकी बबलू के पिता ने थाने में दर्ज करायी. पुलिस हरकत में आती है पता चलता है कि बबलू जितेंद्र के साथ भागलपुर जिले के गोपालपुर में है. इधर बबलू के साथ गोपालपुर पहुंचे जितेंद्र ने बबलू को अपने बहन के घर में अतिथि के तरह रखा था. जितेंद्र के बहनोई चंदन को बबलू को बारे में सारी बात की जानकारी मिली तो वह भी प्रलोभन में आ गया. 28 अगस्त को पता चला कि नोयडा भागलपुर पहुंची है और जितेंद्र और चंदन ने मिल कर दोनों की हत्या कर शव को अभिया गंगा धार में दफना दिया. नोयडा पुलिस के हत्थे चढे. चंदन ने सारी बाते कबूल की. पुलिस को अभी भी जितेंद्र की तलाश है. गोपालपुर पुलिस द्वारा अब तक बबलू के शव की बरामदगी नहीं की जा सकी है. जिससे अभी भी मामला पूरी तरह से उलझा हुआ है. आये दिन पुलिस को इस घटना में कुछ भी खास सुराग बबलू के शव के बरामदगी से ही मिल सकती है. 

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