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Thursday, 11 October 2012

प्रीतम हत्याकांड : नेपाली ने की थी प्रीतम की हत्या





प्रीतम हत्याकांड का खुलासा कर लिया गया है. पुलिस अब पूरी कहानी सामने ले आने का दावा कर रही है. पुलिस के दावे के मुताबिक नेपाली मंडल ने ही प्रीतम की हत्या की थी. दो दिन पहले हिरासत में लिये गये नवगछिया थाना क्षेत्र के नया टोला निवासी विजय मंडल, नवादा निवासी राजेश मंडल व बाल्मीकि रजक को शुक्रवार को प्रीतम हत्याकांड मामले में खगड़िया जेल भेज दिया गया. मालूम हो इन तीनों की गिरफ्तारी पिछले दिनों गिरफ्तार नवादा के ही नेपाली मंडल की निशानदेही पर संभव हो सकी है.




रिमांड पर लेने की तैयारी




इस हत्याकांड में एक और व्यक्ति का नाम आया वह नवगछिया थाना क्षेत्र का मक्खातकिया निवासी चंदन कुमार साह है. चंदन को पिछले दिनों ही पुलिस ने पाकेटमारी के आरोप में जेल भेज चुकी है. चंदन को पुलिस रिमांड पर लेने की तैयारी कर रही है. इस हत्याकांड में अब तक छट्ट सहनी समेत कुल छह लोगों के नाम सामने आ चुके हैं और सभी जेल में हैं. पुलिस का दावा है कि जल्द ही तीन से चार और लोगों की गिरफ्तारी के बाद हत्याकांड की प्रमाणिक कहानी लोगों के सामने होगी. गिरफ्तार किये गये सभी लोगों का रेल क्षेत्र में सक्रिय अपराधिक गतिविधि का पुराना इतिहास रहा है.




हत्या में 20 लोग शामिल

चंदन भागा था बैग लेकर

इसी हत्याकांड में तीन और लोगों को भेजा गया जेल

नेपाली की गिरफ्तारी इस केस का था टर्निंग प्वाइंट

अब तक पांच लोगों की हो चुकी है गिरफ्तारी

अब पुलिस अनुसंधान की जरूरत नहीं : रेल आइजी

रेल आइजी विनय कुमार ने कहा कि प्रमाणिक तौर पर पूरी कहानी को सामने लाने में अभी कुछ दिन और लगेंगे. उन्होंने कहा कि अभी कुछ और लोगों की गिरफ्तारी होनी है. उन्होंने दावा किया कि नवगछिया के मक्खाततकिया में उसे पांच दिनों तक रखा गया, इसलिए इस कांड में कम से कम 15 से 20 लोगों की भागीदारी जरूर होगी. उन्होंने कहा कि पुलिस को अब अनुसंधान की जरूरत नहीं है. बस घटना को प्रमाणिक रूप देना है, जो जल्द ही दे दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि इस हत्याकांड में रेल पुलिस के तेज तर्रार पुलिस पदाधिकारियों को लगाया गया है.

अब तक सामने आयी है इस तरह की कहानी

पुलिस का दावा है कि सभी गिरफ्तार आरोपी ने पूछताछ में प्रीतम हत्याकांड की पूरी कहानी बयां कर दी है. पुलिस के मुताबिक अवध-असम एक्सप्रेस अप ट्रेन में प्रीतम को मालदार मान कर नवगछिया के पाकेटमार गिरोह ने 15 किसी दूसरे गिरोह से मामला फिट किया था. सुनियोजित तरीके से चार लोग, जिनमें राजेश मंडल, बाल्मीकि मंडल, चंदन साह के अलावा एक अन्य व्यक्ति प्रीतम की बॉगी में घुसे. इस दौरान प्रीतम के साथ बर्थ पर बैठने को लेकर बक झक हो गया, जो रास्ते भर चलता रहा. नवगछिया आने तक जब वाहन की रफ्तार धीमी हुई, तो चंदन साह प्रीतम का बैग जबरन खींच कर चलती ट्रेन से कूद गया. इसके साथ ही सभी चलती ट्रेन से कूद प.डे. ट्रेन प्लेटफार्म नंबर दो पर रुकी. घटना से आक्रोशित प्रीतम नवगछिया में उतरा. शिकायत करने के लिए वह जीआरपी थाना गया. वहां से मायूस होकर लौटा. फिर चाय की दुकान पर गया. इसके बाद उसे स्टेशन पर विजय मंडल मिला, जिसने प्रीतम से कहा कि एक आदमी है, जो उसका बैग दिला देगा. फिर विजय की बातों में आकर प्रीतम उसके साथ स्टेशन से बाहर चला गया और वहां पर नेपाली और छट्ठ सहनी प्रीतम को लेकर मक्खातकिया की ओर ले गया. इस बीच प्रीतम का मोबाइल आफ हो गया.

शव रेल पटरी पर फेंका

नेपाली ने पुलिस को दिये गये अपने इकबालिया बयान में कहा है कि उसने ही प्रीतम को मारा और अन्य लोगों की मदद से उसे रेल पटरी पर कटरिया ओवर ब्रीज के पास फेंक दिया. हालांकि इस हत्याकांड में कई तरह की कहानी बार-बार पुलिस के सामने आयी है. कई नाटकीय घटनाक्रम का इस हत्याक ांड में शुमार है. इसलिए समय दर समय बदलते इस हत्याकांड के प्रकृति को देखते हुए कुछ ठोस और प्रामाणिक रूप से अब भी कुछ कहा नहीं जा सकता है.
चौकीदार से डीजीपी तक जुटे थे जांच में

असम के सिल्चर निवासी प्रीतम के अपहरण हत्याकांड के मामले के उदभेदन में शुरू से ही सूबे के डीजीपी से लेकर छोटे स्तर के ग्रामीण पुलिस भी उदभेदन में लगे थे, लेकिन पुलिस के नाक के नीचे नवगछिया स्टेशन से प्रीतम का अपहरण हुआ फिर पांच दिनों बाद हत्या कर दी गयी. शव कटरिया रेलवे ओवर ब्रिज के पास से बरामद किया गया. इस घटना क्रम में दिनों दिन कई नाटकीय मोड़ सामने आते हैं. रेल थाने के चार थानाध्यक्षों पर गाज गिरती है. घोषित इनाम के लालच में कुछ लोगों ने एक मनगढ.ंत कहानी ही गढ. दिया. पहली बार किसी मामले के पर्यवेक्षण में राज्य के रेल अपर पुलिस महानिदेशक पीएन राय नवगछिया की गलियों में घूमते दिखे, फिर प्रीतम के बैग की बरामदगी होती. पुलिस द्वारा पूछताछ के लिए बुलाने पर छट्ठ सहनी के नहीं आने पर पुलिस का शक छट्ठ सहनी की ओर जाता है और नाटकीय घटना क्रम में वह पुलिस के हत्थे चढ. जाता है. छट्ठ से आगे पुलिस नहीं जायेगी इसका अंदाजा आम लोगों को छट्ठ के गिरफ्तारी से ही लग गया था. उसी की निशनदेही पर नेपाली सिंह और फिर अन्य लोग पुलिस के हत्थे चढ.ते हैं. इतनी सी कहानी पुलिस को सामने लाने में तीन माह से भी ज्यादा का समय लग गया. पुलिस की चूक दर चूक से प्रीतम की जान तो गयी ही घटना दिनों दिन पेचीदा होता गया. दूसरी तरफ इस मामले में पुलिस की कार्रवाई से प्रीतम के परिजन असंतुष्ट है. सबों के इक वालिया बयान में हत्याकांड में सलिप्तता की बात पुलिस की तरफ संदेह पैदा करने वाला है ऐसा प्रीतम के परिजनों का कहना है. सोशल नेटवर्किग साइट पर प्रीतम की बहन दिव्या तनु ने प्रप्रभात खबर को बताया था कि इस मामले में सभी क्यों कह रहे हैं कि उसने ही प्रीतम को मारा है. पुलिस के समक्ष जाने वाला आदमी क्यों अपने अपराध को आसानी से स्वीकार कर लेता है. दिव्या ने कहा था कि वह सीबीआइ जांच के लिए हस्ताक्षर अभियान चला रही है. वह इतनी सी कहानी पर संतुष्ट होकर नहीं बैठ सकती. वह इस मामले में उास्तरीय जांच करवा कर रहेंगी.




















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