बिहपुर
विभाष हत्याकांड के बाद जब पुलिस ने विभाष की क्राइम हिस्ट्री खंगाली तो पाता चला कि विभाष पूर्व में फायटर पार्टी के नाम के एक आपराधिक गिरोह के माध्यम से क्षेत्र मे गुटीय हिंसा में सक्रिय रहा था. उसके विरुद्ध बिहपुर थाने में एक दर्जन से अधिक जघन्य वारदातों के मामले सामने आये. दूसरी तरफ पुलिस विभाष की हत्या का तत्कालिक कारण जलकर विवाद मान रही है. पुलिस का कहना है कि जलकर के हिस्सेदारों में मछली के बांटवारे को लेकर हुए विवाद में विभाष की हत्या कर दी गयी. जांच के क्रम में यह बात भी सामने आयी कि लंबे समय तक हिंसात्मक गतिविधि में संलिप्त रहने के बाद विभाष इन दिनों मुख्यधारा में जुड़ने का प्रयास कर रहा था और वह लकड़ी व जलकर के धंधे में हाथ आजमा रहा था. आशंका यह भी है कि हत्या का करण वर्षों पुराना गुटीय संघर्ष भी हो सकता है. जानकारी के अनुसार 80 के दशक में जयरामपुर गांव में एक ही जाति के दो गुटों के बीच वर्चस्व की लड़ाई की शुरुआत होते ही विभाष इस लड़ाई में खुल कर सामने आया था और कई वारदातों को अंजाद दिया था. उसके विरुद्ध पहला मामला वर्ष 1987 में सामने आया था. विभाष हत्या, हत्या का प्रयाय, लूट, मारपीट, आर्म्स एक्ट आदि कई अन्य जघन्य मामलों में भी आरोपी रहा है. वारंटों की लिस्ट खंगलने के बाद यह भी पता चला है कि विभाष इन दिनों फरार भी चल रहा था. बिहपुर थाने में विभाष के विरुद्ध कई वारंट लंबित थे. कहा जा रहा है कि विभाष ने वर्ष 1987 से 1990 तक कई वारदातों को अंजाम देकर पुलिस की नींद उड़ा दी थी. नवगछिया एसपी आनंद कुमार सिंह ने विभाष कुमर हत्याकांड की बिहपुर थाने में समीक्षा करते हुए हत्याकांड में शामिल सभी नामजदों को जल्द गिरफ्तार करने के का पुलिस को निर्देश दिया है. इधर बिहपुर थानाध्यक्ष राजेश कुमार तिवारी ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरू कर दी है. भ्रमरपुर और जयरामपुर गांव में इस हत्या कांड के बाद तनाव का माहौल है.
विभाष हत्याकांड के बाद जब पुलिस ने विभाष की क्राइम हिस्ट्री खंगाली तो पाता चला कि विभाष पूर्व में फायटर पार्टी के नाम के एक आपराधिक गिरोह के माध्यम से क्षेत्र मे गुटीय हिंसा में सक्रिय रहा था. उसके विरुद्ध बिहपुर थाने में एक दर्जन से अधिक जघन्य वारदातों के मामले सामने आये. दूसरी तरफ पुलिस विभाष की हत्या का तत्कालिक कारण जलकर विवाद मान रही है. पुलिस का कहना है कि जलकर के हिस्सेदारों में मछली के बांटवारे को लेकर हुए विवाद में विभाष की हत्या कर दी गयी. जांच के क्रम में यह बात भी सामने आयी कि लंबे समय तक हिंसात्मक गतिविधि में संलिप्त रहने के बाद विभाष इन दिनों मुख्यधारा में जुड़ने का प्रयास कर रहा था और वह लकड़ी व जलकर के धंधे में हाथ आजमा रहा था. आशंका यह भी है कि हत्या का करण वर्षों पुराना गुटीय संघर्ष भी हो सकता है. जानकारी के अनुसार 80 के दशक में जयरामपुर गांव में एक ही जाति के दो गुटों के बीच वर्चस्व की लड़ाई की शुरुआत होते ही विभाष इस लड़ाई में खुल कर सामने आया था और कई वारदातों को अंजाद दिया था. उसके विरुद्ध पहला मामला वर्ष 1987 में सामने आया था. विभाष हत्या, हत्या का प्रयाय, लूट, मारपीट, आर्म्स एक्ट आदि कई अन्य जघन्य मामलों में भी आरोपी रहा है. वारंटों की लिस्ट खंगलने के बाद यह भी पता चला है कि विभाष इन दिनों फरार भी चल रहा था. बिहपुर थाने में विभाष के विरुद्ध कई वारंट लंबित थे. कहा जा रहा है कि विभाष ने वर्ष 1987 से 1990 तक कई वारदातों को अंजाम देकर पुलिस की नींद उड़ा दी थी. नवगछिया एसपी आनंद कुमार सिंह ने विभाष कुमर हत्याकांड की बिहपुर थाने में समीक्षा करते हुए हत्याकांड में शामिल सभी नामजदों को जल्द गिरफ्तार करने के का पुलिस को निर्देश दिया है. इधर बिहपुर थानाध्यक्ष राजेश कुमार तिवारी ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरू कर दी है. भ्रमरपुर और जयरामपुर गांव में इस हत्या कांड के बाद तनाव का माहौल है.
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