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Thursday, 12 December 2013

प्रीतम हत्याकांड : न्याय नहीं दिला सकी पुलिस



दो राज्यों में चर्चित हत्याकांड से पल्ला झाड.ने के लिए पुलिस ने आनन-फानन में कर दिया अनुसंधान

एक वर्ष से अधिक समय तक चला मामला, प्रस्तुत किये गये 21 गवाह


नौ जुलाई 2012 को नवगछिया रेलवे स्टेशन से असम के सिल्चार निवासी महिला कॉलेज के प्राचार्य शंकर भट्टाचार्य के 25 वर्षीय पुत्र प्रीतम भट्टाचार्य पीएचइडी की पढ.ाई करने के लिए अवध-असम एक्सप्रेस से दिल्ली जा रहा था. नवगछिया स्टेशन के पास उसके बैग को कुछ अपराधियों ने छीन लिया. अपराधियों का पीछा करते हुए प्रीतम नवगछिया स्टेशन पर उतरता है और यहां पर अपराधियों के चंगुल में फंस जाता है. दो राज्यों में इस घटना को लेकर पुलिस की फजीहत हो रही थी तो दूसरी तरफ नवगछिया को बड.ी बदनामी मिल रही थी. अनुसंधान को दिशा देने के लिए खुद दो बार रेल उपमहानिदेशक पीएन राय नवगछिया आये. तत्कालीन रेल आइजी विनय कुमार ने भी कई दिनों तक इस हत्याकांड को लेकर नवगछिया में ही कैंप किया. उनका कहना था कि पुलिस ने सही लोगों को जेल भेजा है. पुलिस ने अनुसंधान में कई तरह के अत्याधुनिक हथकंडे अपनाये, लेकिन न्यायालय में मामला खुलते ही पुलिस के दावों की पोल खुल गयी है.


भारी विफलता. कानून की कसौटी पर नहीं टिक पाया पुलिस

असम के सिलचर निवासी प्रीतम भट्टाचार्य हत्याकांड के सभी आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी करने के फैसले के बाद आम लोगों में रेल पुलिस की विफलता की ही चर्चा हो रही है. प्रीतम हत्याकांड बिहार के साथ-साथ असम में भी चर्चित था. पुलिस पर इस मामले को सुलझाने का अत्यधिक दबाव था. इसलिए रेल पुलिस ने आनन-फानन में अनुसंधान करते हुए पहले घटना से अनभिज्ञ गवाहों को खड.ा किया और फिर नौ लोगों को नामजद कर जेल भेज दिया. नतीजतन पुलिस द्वारा बुना गया अनुसंधान का तानाबाना कानून की कसौटी पर टिक नहीं पाया और सभी आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया. नवगछिया रेल थाना क्षेत्र का यह मामला खगड.िया के प्रथम तदर्थ जिला एवं सत्र न्यायाधीश सहजानंद शर्मा की अदालत में चल रहा था. एक वर्ष से अधिक दिनों तक चले इस मामले में सुनवाई के लिए लगभग 40 तिथियां मुकर्रर की गयीं. अभियोजन पक्ष से कांड के अनुसंधानकर्ताओं और और सूचक सहित कुल 21 गवाह प्रस्तुत किये गये. लेकिन, पुलिस द्वारा अनुसंधान में उल्लेखित सारे गवाह एक के बाद एक मुकरते चले गये. इस कांड के अनुसंधानकर्ताओं में अनि मनीष कुमार, अनि हरिराम और अनि दुर्गेश शर्मा थे.

इन गवाहों को बनाया गया आधार :


 इस हत्याकांड के सूचक मृतक प्रीतम के चाचा और तीन अनुसंधानकर्ताओं के अलावा नवगछिया व आसपास के पंचलाल शर्मा, अजय यादव, भरत साह, अनिल कुमार, मो कारे, पिंकू सिंह, शंभु सिंह, पंकज सिंह, मो रुस्तम, गुंजन देवी, मो शमशाद, मो इजहार, अजय कुमार, मुरारी पासवान, मो नौशाद, फोचो यादव, जितेंद्र कुमार साह को पुलिस ने गवाह बना कर नौ आरोपियों नवगछिया मक्खातकिया के छट्ठू सहनी, नेपाली सिंह, चंदन साह, विजय मंडल, राजेश मंडल, बाल्मिकी मंडल, जीतन मंडल, सुदीश सिंह, सुभाष सिंह को आरोपित किया था.

पुलिस ने बनायी थी इस तरह की कहानी :


प्रीतम क े अपहरण से लेकर हत्या तक पुलिस ने अपने अनुसंधान में पुलिस ने जो कहानी बनायी थी उसमें छट्ठ सहनी, नेपाली सिंह, चंदन साह को मुख्य आरोपी बनाया गया था. प्रीतम के अपहरण से लेकर हत्या में सभी सभी नौ आरोपियों की संलिप्तता दिखायी दर्शायी गयी थी. पुलिस की कहानी के अनुसार अवध-असम एक्सप्रेस ट्रेन पर सवार प्रीतम का बैग अपराधी छीन लेते हैं. इसके बाद प्रीतम नवगछिया स्टेशन पर पहुंचता है. यहां पर वह अपहर्ताओं के चंगुल में फंस जाता है. अपहर्ता उसे नवगछिया के एक पुराने अंडी मिल में रखते हैं. अपहरण के पांच दिन बाद प्रीतम को एक जनप्रतिनिधि के पति के वाहन से कटरिया ओवरब्रिज के पास ले जा कर उसकी हत्या कर दी जाती है. इस मामले में पुलिस ने आरोपित जनप्रतिनिधि का वाहन भी जब्त किया. इसमें उस जनप्रतिनिधि के देवर और चालक को भी आरोपी बनाया गया



पुलिस कहीं न कहीं रही है कमजोर 

खगड.िया व्यवहार न्यायालय के अपर लोक अभियोजक मदन मोहन सिंहा ने कहा कि पुलिस अपने अनुसंधान को सिद्ध करने में कहीं न कहीं कमजोर रही है. पुलिस के पास गवाह के रूप में 17 लोगों के नाम के अलावा कुछ नहीं था. जहां तक टेलीफोन नंबरों और कॉल डिटेल की बात है, तो इससे यह तो सिद्ध होता है आरोपी एक-दूसरे से बात कर रहे हैं, लेकिन इससे आरोपियों के घटना में संलिप्त होने की बात सिद्ध नहीं होती. वह एक बार फिर पूरे मामले का अवलोकन करेंगे. अगर किसी प्रकार का आधार मिलेगा तो विचार किया जायेगा.कहते हैं

अभियोजन से सलाह कर वरीय अदालत का खटखटाया जायेगा दरवाजा : रेल एसपी

 रेल एसपी कटिहार के रेल एसपी जितेंद्र मिर्श ने कहा कि पूरे मामले की मुझे जानकारी है. अभियोजन पक्ष से सलाह मशविरा कर जरूरत पड.ी तो वरीय अदालत में इस मामले को ले जाया जायेगा.


घटनाक्रम एक नजर में

जुलाई 2012 : प्रीतम भट्टाचार्य का नवगछिया स्टेशन से अपहरण

10 जुलाई 2012 : नवगछिया और आपपास के सभी थानों को प्रीतम के परिजनों द्वारा दी जाती है सूचना. पुलिस हरकत में आती है.

11 जुलाई 2012 : प्रीतम के परिजन पहुंचते हैं नवगछिया

12 जुलाई 2012 : प्रीतम के चाचा राम मोहन भट्टाचार्य के लिखित आवेदन पर नवगछिया थाने में दर्ज किया गया मामला

14 जुलाई 2012 : प्रीतम के मोबाइल का मिला लोकेशन, नवगछिया शहर में लोकल पुलिस और रेल पुलिस के स्तर से किया गया मार्च पास्ट

15 जुलाई 2012 : नवगछिया रेल थाना के कटरिया ओवरब्रिज के नीचे प्रीतम का सिरकटा शव मिला

16 जुलाई 2012 : अलग अलग रेल थाने के नेतृत्व में पुलिस ने किया दस टीमों को सक्रिय

20 जुलाई 2012 : अनुसंधान को दिशा देने के लिए नवगछिया पहुंचे रेल एडीजी पीएन राय

21 जुलाई 2012 : उड.ी अफवाह कि 40 हजार रुपये के लिए की गयी प्रीतम की हत्या. पुलिस पदाधिकारियों ने की मामले की जांच, तो झूठी निकली बात

22 जुलाई 2012 : नहीं मिली कोई सफलता, एडीजी पीएन राय के निर्देश पर विशेष जांच टीम का किया गया गठन

24 जुलाई 2012 : नवगछिया रेल थानाध्यक्ष व दो पुलिस कर्मी लापरवाही के आरोप में निलंबित. उन पर आरोप था कि बैग छिनतई की रपट लिखाने थाने पहुंचे प्रीतम को पुलिस ने डांट कर भगा दिया.

25 जुलाई 2012 : कटरिया रेल ओवरब्रिज के नीचे घटना स्थल से 300 मीटर की दूरी पर मिला प्रीतम का बैग और कपड.ा.

26 जुलाई 2012 : रेल एडीजी फिर पहुंचे नवगछिया, दी गयी अनुसंधान को नयी दिशा

चार अगस्त 2012 : पुलिस ने किया सुराग मिलने का दावा. छट्ठ सहनी का नाम सामने आया. पुलिस ने छट्ठ के घर और आस पास के ठिकानों पर की छापेमारी. छट्ठ भगोड.ा घोषित.

आठ अगस्त 2012 : गिरफ्तार हुआ घोषित भगौड.ा नवगछिया का मक्खातकिया निवासी छट्ठू सहनी. फिर एक एक कर कुछ आरोपियों ने किया आत्मसर्मपण तो कुछ को पुलिस ने किया गिरफ्तार

26 दिसंबर 2012 : तीन आरोपियों को पुलिस ने लिया रिमांड पर, कराया गया पॉलीग्राफिक टेस्ट

नौ जनवरी 2013 : पुलिस ने कथित रूप से प्रयुक्त बोलेरो को किया जब्त और नवगछिया के बनवारी पंसारी की अंडी मिल की फोरेंसिक एक्सपर्ट से करायी गयी जांच

पांच फरवरी 2013 : पुलिस इस हत्याकांड में कुल नौ लोगों को जेल भेज चुकी थी. छह के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र भी दाखिल किया जा चुका था.

11 दिसंबर 2013 : पुलिस का अनुसंधान कानूनी रूप से आरोपियों का दोष सिद्ध नहीं करवा पाया. सभी आरोपी साक्ष्य के अभाव में बरी.


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